ब्याजखोरों के जाल में फंसा उदयपुर का व्यवसायी — कर्ज और उत्पीड़न से टूटी जिंदगी, सुसाइड नोट में लिखी दर्दनाक कहानी


उदयपुर।
झीलों की नगरी में एक और दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया है। मार्बल व्यवसाय से जुड़े रवि भट्ट नामक व्यापारी ने सोमवार देर रात कर्ज के बोझ और ब्याजखोरों के लगातार मानसिक उत्पीड़न से तंग आकर आत्महत्या कर ली।
पुलिस को मौके से एक सुसाइड नोट मिला है, जिसमें रवि भट्ट ने अपने ऊपर हुए आर्थिक और मानसिक शोषण की पूरी दास्तान लिखी है। सुसाइड नोट में उन्होंने पांच लोगों को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है, जिनमें अमरजीत सिंह कांडा, अमन कांडा, जतिन कांडा (उदयपुर), सनत सिकलीधर (उदयपुर) और टीटू सरदार (बांसवाड़ा) के नाम शामिल हैं।


कर्ज का जाल और ब्याज की लूट

रवि भट्ट पिछले कई वर्षों से मार्बल का कारोबार कर रहे थे। महामारी के बाद कारोबार में भारी गिरावट आई और उन्हें व्यवसाय चलाने के लिए बाजार से रकम उठानी पड़ी।
मृतक की बेटी ने बताया कि “पापा ने 6 प्रतिशत से लेकर 18 प्रतिशत तक ब्याज पर पैसे लिए थे। लगभग 80 लाख से एक करोड़ रुपए ब्याज के रूप में चुका चुके थे, लेकिन कर्ज खत्म नहीं हुआ।
उसने बताया कि ब्याजखोर रोजाना फोन कर धमकाते, ताने देते और पिता को मानसिक रूप से तोड़ते रहते थे।
रवि भट्ट कई बार इन लोगों से राहत मांगते रहे, लेकिन उल्टा उन्हें और दबाव में लाया गया।

बेटी ने रोते हुए कहा,

“हमारे पापा हर महीने ब्याज देते रहे, लेकिन वो लोग और पैसे मांगते रहे। धमकियां मिलती थीं — कहते थे घर आ जाएंगे, दुकान जब्त कर लेंगे, पुलिस कुछ नहीं करेगी। पापा बहुत डर गए थे। उन्होंने कहा था कि अब जीने की हिम्मत नहीं बची।”


सुसाइड नोट में लिखी आखिरी पीड़ा

पुलिस के अनुसार, सुसाइड नोट में रवि भट्ट ने लिखा है —

“पिछले पांच सालों से कर्ज में डूबता ही गया हूँ। तीन लोगों से पैसे उधार लेकर बड़ी भूल कर दी। अमरजीत सिंह कांडा, अमन कांडा, जतिन कांडा (उदयपुर), सनत सिकलीधर (उदयपुर) और टीटू सरदार (बांसवाड़ा) — इन सभी को मूल से ज्यादा ब्याज दे दिया, फिर भी नोचते रहते हैं। भगवान इनको सद्बुद्धि दे। मेरा यह कदम उठाने में सबसे ज्यादा जिम्मेदार यही लोग हैं।”

यह पंक्तियाँ पढ़ने के बाद हर किसी की आंखें नम हो गईं। एक ईमानदार व्यवसायी जिसने अपनी जिम्मेदारियां निभाने की कोशिश की, अंततः ब्याजखोरों की निर्दयता का शिकार बन गया।


बाजार में फैले निजी फाइनेंसर्स का जाल

रवि भट्ट की मौत ने एक बार फिर उदयपुर के ब्याजखोर गिरोहों की सच्चाई को उजागर कर दिया है।
शहर में कई ऐसे निजी फाइनेंसर्स और दलाल सक्रिय हैं जो 12 से 24 प्रतिशत तक ब्याज दर पर पैसे देते हैं। वे कागज पर मामूली ब्याज दिखाते हैं, लेकिन वसूली के वक्त कई गुना रकम मांगते हैं।
व्यवसाय में मंदी या घाटे की स्थिति में ये लोग उधार लेने वाले को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित करते हैं।

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि ऐसे ब्याजखोरों के कारण कई छोटे और मध्यम स्तर के व्यापारी बर्बाद हो चुके हैं। कई परिवार तबाह हो गए, लेकिन प्रशासनिक स्तर पर ठोस कार्रवाई नहीं होती।


परिजनों की गुहार — “अगर पहले कार्रवाई होती, तो आज पापा जिंदा होते”

रवि भट्ट के परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है।
परिजनों ने पुलिस से सभी नामजद ब्याजखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।
परिवार का कहना है कि जब ब्याज की पूरी रकम चुका दी गई थी, तब भी आरोपी रोजाना धमकाते रहे।
परिजनों ने आरोप लगाया कि अगर पुलिस ने पहले ही शिकायतों पर ध्यान दिया होता, तो आज यह नौबत नहीं आती।

मृतक की बेटी ने कहा —

“पापा ने दो बार थाने में शिकायत करने की बात कही थी, लेकिन फिर डर गए। कहते थे कि ये लोग बहुत ताकतवर हैं, कुछ नहीं होगा। लेकिन हमें नहीं पता था कि वो खुद को खत्म करने की सोच रहे हैं।”


पुलिस जांच में जुटी, दो संदिग्ध डिटेन

घटना की सूचना पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर एमबी अस्पताल की मोर्चरी में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।
फिलहाल पुलिस ने सुसाइड नोट जब्त कर जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, दो लोगों को डिटेन किया गया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।
पुलिस का कहना है कि मामले की हर एंगल से जांच की जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।


सवाल फिर वही — कब खत्म होगा ‘ब्याजखोरों’ का आतंक?

रवि भट्ट की आत्महत्या कोई अकेली घटना नहीं है।
पिछले कुछ वर्षों में उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमंद और बांसवाड़ा क्षेत्रों से ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां ब्याजखोरी के कारण व्यापारी और आम लोग आत्महत्या करने को मजबूर हुए।
फिर भी यह अवैध कारोबार खुलेआम जारी है।

शहर के एक वरिष्ठ व्यापारी ने कहा —

“हर बाजार में ब्याज पर पैसा देने वाले लोग बैठे हैं। ये कानून से ऊपर काम करते हैं। पुलिस या प्रशासन कभी सख्ती नहीं करता। आज एक रवि भट्ट गया है, कल कोई और जाएगा अगर इस पर रोक नहीं लगी।”


निष्कर्ष

रवि भट्ट की मौत केवल एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं, बल्कि उस व्यवस्था की असफलता की कहानी है, जिसमें मेहनती व्यापारी को सुरक्षा नहीं मिलती और अवैध रूप से चल रहे ब्याजखोर नेटवर्क को संरक्षण प्राप्त है।
अब देखना यह होगा कि क्या पुलिस इस मामले को उदाहरण बनाकर उन सभी तक पहुंचेगी जो ऐसे फाइनेंसिंग के जाल में लोगों की जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं —
या यह भी किसी और आत्महत्या की तरह फाइलों में दफन हो जाएगा।

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