उदयपुर में बलीचा ध्वस्तीकरण पर सियासत गरमाई ! कलेक्ट्रेट पर सरपंच संघ और संघर्ष समिति का प्रदर्शन, नियम संशोधन की मांग

उदयपुर के बलीचा क्षेत्र में यूडीए (UDA) की ध्वस्तीकरण कार्रवाई अब बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है। शुक्रवार को पैराफेरी संघर्ष समिति और सरपंच संघ के सदस्य बड़े समूह में कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रशासन के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यूडीए वर्षों से बसे गरीब और आदिवासी परिवारों को अतिक्रमण का हवाला देकर उजाड़ रहा है, जबकि आबादी घोषित करने और पट्टा जारी करने से जुड़े पुराने आदेश लागू नहीं किए जा रहे। संघर्ष समिति के अनुसार कई परिवार दशकों से यहां रह रहे हैं और खेती-मजदूरी पर निर्भर हैं। अचानक मकान तोड़ने से उनका घर और रोज़गार दोनों प्रभावित हो रहे हैं।

उपसरपंच चंदन सिंह देवड़ा ने आरोप लगाया कि कार्रवाई चुनिंदा क्षेत्रों में की जा रही है, जो ज्यादातर निम्न आय वर्ग के निवास वाले इलाकों में आते हैं। उन्होंने याद दिलाया कि 4 जनवरी 2022 को जारी वह आदेश, जिसमें आबादी से लगी जमीनों का सर्वे कर पंचायतों को सौंपने का निर्देश था, आज तक लागू नहीं हो पाया है।

प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि बड़े फार्महाउस और प्रभावशाली लोगों की वास्तविक कब्जेदारियों पर प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, जबकि आम नागरिकों पर सख्ती की जा रही है।

संघर्ष समिति की प्रमुख मांग है कि वर्ष 1992 से पहले बसे सभी क्षेत्रों को आबादी घोषित किया जाए और नगर निगम में शामिल हो चुकी पंचायतों को पट्टा जारी करने का अधिकार दिया जाए। जनप्रतिनिधियों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने नियमों में संशोधन कर राहत नहीं दी, तो आंदोलन जिला स्तर से बढ़ाकर राज्य स्तर तक किया जाएगा।

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