झाड़ोल में फिर बच्चों की जान से खिलवाड़ — खुले दरवाजे से लटकते स्कूली बच्चे, तीन दिन पहले हुई मासूम की मौत भी नहीं बनी सबक

रिपोर्ट- मोहम्मद यासर
उदयपुर।
झाड़ोल क्षेत्र में एक बार फिर स्कूली बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी लापरवाही सामने आई है। नेशनल हाईवे 58-ई पर दौड़ती एक इको वैन में ड्राइवर की लापरवाही का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। तेज रफ्तार से भागती इस वैन में पीछे का गेट पूरी तरह खुला हुआ था, और उसी खुले दरवाजे पर चार छोटे-छोटे बच्चे पैर लटकाकर बैठे थे। गाड़ी इतनी तेज थी कि अगर हल्का सा झटका लगता, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था।

पीछे से आ रहे एक कार चालक ने जब यह खतरनाक नजारा देखा तो उसने तुरंत वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। वीडियो बनता देख बच्चों ने हंसते हुए गेट बंद कर लिया, लेकिन ड्राइवर को इस खतरनाक हरकत की भनक तक नहीं लगी। बताया जा रहा है कि यह वैन झाड़ोल बायपास की है और इसमें स्वामी विवेकानंद मॉडल स्कूल के बच्चे सवार थे।

वीडियो के सामने आने के बाद स्थानीय लोग आक्रोशित हैं। उनका कहना है कि प्रशासन और स्कूल प्रबंधन की लापरवाही बच्चों की जिंदगी के साथ सीधा खिलवाड़ है। लोगों ने सवाल उठाया है — “क्या किसी बड़े हादसे का इंतजार है?”

तीन दिन पहले ही हुआ था दर्दनाक हादसा

यह लापरवाही ऐसे वक्त में सामने आई है जब झाड़ोल क्षेत्र में तीन दिन पहले ही एक निजी स्कूल बस ने चार वर्षीय मासूम चित्रराज को कुचल दिया था। यह दर्दनाक घटना दोपहर करीब 3 बजे की थी। चित्रराज स्कूल से घर लौट रहा था, बस से उतरते ही ड्राइवर ने जल्दबाजी में गाड़ी आगे बढ़ा दी। बच्चा बस की चपेट में आ गया और मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
इकलौते बेटे की लाश देखकर मां भावना बेसुध हो गई थी, और पूरे गांव में मातम पसर गया था। उस हादसे के बाद स्कूल प्रबंधन और परिवहन विभाग ने दावा किया था कि अब स्कूल बसों और वैनों की जांच सख्ती से की जाएगी। लेकिन महज तीन दिन बाद ही एक और लापरवाही कैमरे में कैद हो गई — जिससे साफ है कि न तो ड्राइवर सबक ले रहे हैं, न ही प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई की।

बिना फिटनेस और बिना लाइसेंस चल रही वैनें

स्थानीय लोगों का कहना है कि झाड़ोल क्षेत्र में अधिकांश निजी स्कूल वैनें बिना किसी मानक और सुरक्षा जांच के सड़कों पर दौड़ रही हैं। कई वाहनों के पास फिटनेस सर्टिफिकेट तक नहीं हैं, वहीं ड्राइवरों के पास ट्रांसपोर्ट लाइसेंस नहीं है।
कुछ स्कूलों में बच्चों को बैठाने की व्यवस्था इतनी लापरवाह है कि सीट बेल्ट तो दूर, वैन के दरवाजे तक सही से नहीं लगते। कई बार छोटे बच्चों को 10-12 किलोमीटर दूर गांवों से बिना किसी अटेंडर के लाया-ले जाया जाता है।

“प्रशासन जागे, नहीं तो बड़ा हादसा तय”

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासन से स्कूल वाहनों की तत्काल जांच की मांग की है। झाड़ोल निवासी शंकरलाल मीणा का कहना है कि “हर बार हादसे के बाद कागजों में जांच होती है, लेकिन हकीकत में कोई जिम्मेदारी तय नहीं होती। स्कूल मालिक और ड्राइवर मनमानी कर रहे हैं।”
लोगों का कहना है कि यदि अब भी सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो यह लापरवाही किसी और परिवार को हमेशा के लिए उजाड़ सकती है।

सोशल मीडिया पर चर्चा

वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भी लोग अपनी नाराजगी जता रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा — “तीन दिन पहले बच्चे की मौत हुई, फिर भी प्रशासन नहीं चेता।”
कई लोगों ने यह भी मांग की है कि संबंधित स्कूल और ड्राइवर पर IPC की धारा 336 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत मामला दर्ज किया जाए।


फिलहाल इस मामले में परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन वीडियो वायरल होने के बाद झाड़ोल क्षेत्र में स्कूली वाहनों की सुरक्षा को लेकर सवाल फिर गहराते जा रहे हैं।
बच्चों की सुरक्षा के नाम पर जिम्मेदारों की चुप्पी अब लोगों के गले नहीं उतर रही — क्योंकि सवाल सिर्फ लापरवाही का नहीं, भविष्य के साथ खिलवाड़ का है।

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