ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसी गन से ढेर हुए थे पाकिस्तानी ड्रोन; एक मिनट में 300 गोले बरसाने की क्षमता
भुज।
दशहरे के मौके पर देश की सैन्य परंपरा और शक्ति का अद्भुत संगम गुजरात के भुज में देखने को मिला। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को भारतीय सेना के मिलिट्री बेस का दौरा किया और यहां शस्त्र पूजन किया। इस दौरान उन्होंने देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली L-70 एयर डिफेंस गन की पूजा की।

यह वही गन है जिसने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन को मार गिराकर दुश्मन को करारा जवाब दिया था। यह गन मात्र एक मिनट में 300 गोले दागने की क्षमता रखती है और 3,500 मीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती है।
पाकिस्तान को करारा संदेश – सर क्रीक विवाद पर स्पष्ट चेतावनी
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में पाकिस्तान पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि आज़ादी के 78 साल बाद भी पाकिस्तान सर क्रीक विवाद को जिंदा रखकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहा है। भारत ने कई बार बातचीत के जरिए समस्या का हल निकालने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की नीयत कभी साफ नहीं रही।
उन्होंने साफ शब्दों में चेतावनी दी—
“यदि पाकिस्तान ने सर क्रीक क्षेत्र में किसी भी तरह की हिमाकत की, तो उसे ऐसा करारा जवाब दिया जाएगा कि इतिहास और भूगोल दोनों बदल जाएंगे।”
ऑपरेशन सिंदूर में भारत की निर्णायक जीत
रक्षा मंत्री ने बताया कि पाकिस्तान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान लेह से लेकर सर क्रीक तक भारत की सुरक्षा प्रणाली को तोड़ने की साजिश की थी। लेकिन भारतीय सेना ने उसकी हर चाल नाकाम कर दी और उसके एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह उजागर कर दिया।

राजनाथ सिंह ने कहा—
“भारतीय सेना ने यह साबित कर दिया कि वह जब चाहे और जहां चाहे पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचा सकती है। हमने ऑपरेशन सिंदूर में अपने सभी मकसद सफलतापूर्वक पूरे कर लिए। आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई आगे भी जारी रहेगी।”
शस्त्र पूजा का महत्व – धर्म और न्याय की रक्षा का संकल्प
दशहरे के पर्व पर शस्त्र पूजन के महत्व पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि शस्त्र पूजा केवल परंपरा नहीं है, बल्कि यह धर्म और न्याय की रक्षा का संकल्प है।
उन्होंने कहा—
“भगवान राम ने भी जब रावण के खिलाफ युद्ध किया था, तो उनका उद्देश्य केवल जीत हासिल करना नहीं था, बल्कि धर्म की स्थापना करना था। भारत न सिर्फ शस्त्रों की पूजा करता है, बल्कि समय आने पर उनका इस्तेमाल करना भी जानता है।”
सर क्रीक विवाद – 117 साल से चला आ रहा मुद्दा
सर क्रीक, भारत और पाकिस्तान के बीच लगभग 96 किलोमीटर लंबी ज्वारीय खाड़ी है। यह कच्छ की खाड़ी से अरब सागर में जाकर मिलता है। दलदली इलाका होने की वजह से यहां सीमा तय करना हमेशा से कठिन रहा है।
सर क्रीक विवाद की टाइमलाइन (संक्षेप में):
- 1908 – कच्छ और सिंध के शासकों के बीच जलाऊ लकड़ी के ढेर को लेकर विवाद।
- 1914 – कच्छ राजा और सिंध प्रांतीय सरकार के बीच समझौता, जिसमें पाकिस्तान पूरी खाड़ी पर दावा करता है।
- 1947 – विभाजन के बाद पाकिस्तान ने पूरा सर क्रीक अपना बताया। भारत ने थलवेग सिद्धांत के आधार पर सीमा को बीचों-बीच मानने का दावा किया।
- 1965 – रन ऑफ कच्छ युद्ध के दौरान विवाद और गहरा हुआ।
- 1968 – मामला इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल को सौंपा गया। फैसला कच्छ के हक में आया, लेकिन सर क्रीक पर फैसला नहीं हुआ।
- 1990-2000 – कई दौर की बातचीत और संयुक्त सर्वे हुए, पर हल नहीं निकला।
- आज भी पाकिस्तान पूर्वी किनारे को अपनी सीमा बताता है, जबकि भारत अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक इसे बीच की लाइन मानता है।
L-70 गन – भारत की आकाशीय ढाल
- निर्माता: बोफोर्स (स्वीडन)
- भारतीय सेना में शामिल: 1960 के दशक से
- गोले बरसाने की क्षमता: प्रति मिनट 300
- रेंज: 3,500 मीटर तक
- भूमिका: दुश्मन के विमान और ड्रोन को मार गिराने में उपयोगी
- खासियत: तेज़ी से बदलते लक्ष्यों को ट्रैक कर नष्ट करने की क्षमता
निष्कर्ष
भुज में दशहरे के अवसर पर हुई शस्त्र पूजा केवल धार्मिक परंपरा का निर्वाह नहीं था, बल्कि यह पाकिस्तान और दुनिया को भारत का स्पष्ट संदेश था कि भारत शांति चाहता है, लेकिन यदि उसकी संप्रभुता को चुनौती दी गई, तो करारा जवाब देना भी जानता है।